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Massage Girl in Mumbai: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Mumbai who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Mumbai that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Mumbai massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Mumbai who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Mumbai massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Mumbai massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Mumbai who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Mumbai employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Mumbai helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Mumbai

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Mumbai at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Antarvasna Sex Stories

मेरी शादी हुये लगभग Antarvasna Sex Stories चार साल हो चुके थे। कुछ अभागी लड़कियों में से मैं भी एक हूँ। शादी के दिन मैं बहुत खुश थी। लगा था कि जवानी की सारी खुशियाँ मैं अपने पति पर लुटा दूंगी। मैं भी मस्ती से लण्ड खाऊंगी… कितना मजा आयेगा। पर हाय री मेरी किस्मत… सुहाग रात को ही जैसे मुझ पर वज्र प्रहार हुआ। मेरा पति रात को दोस्तों के साथ बहुत दारू पी गया था। आते ही जैसे वो मुझ पर चढ़ गया। मेरे कपड़े उतार फ़ेंके और खुद भी नशे में नंगा हो गया। लण्ड देखा तो मामूली सा… शायद पांच इन्च का दुबला सा… जैसे कोई नूनी हो… एक दम कडक… मैंने भी लण्ड खाने के लिये अपनी टांगे ऊपर उठा ली… तेज बीड़ी की सड़ांध उसके मुख से आ रही थी जो दारू की महक के साथ और भी तेज बदबू दे रही थी। मैंने अपना चेहरा एक तरफ़ कर लिया, राह देखने लगी कि कब उसका लण्ड चूत में जाये और मेरी जवानी की आग बुझाये।

वो दहाड़ता हुआ मेरे से लिपट गया और अपना लण्ड घुसेड़ने की कोशिश करता रहा। जैसे तैसे उसका लण्ड घुस ही गया, मैं आनन्द से भर गई तभी मेरी चूत में जैसे कीचड़ सा भर गया। वो झड़ चुका था। मैं तड़प कर रह गई। मैंने उसे धक्का दे कर एक तरफ़ किया और उठ कर बाथरूम में जाकर अंगुली चला कर अपना पानी निकाल लिया। अब वो नशे में बेसुध पड़ा खर्राटे भर रहा था।

“साली… रण्डी… चोद कर क्या मिल गया… साली चुदी चुदाई है!” सवेरे मेरा पति मुझ पर गुर्रा रहा था। उसकी मां ये सब सुन रही थी। पर शायद वो उनके बारे में जानती थी।
“चुप रहो… ऐसी गन्दी बातें करते हुये शरम नहीं आती… “मैंने धीरे से उलाहना दिया।
“तो बता तेरे भोसड़े में से खून क्यों नहीं निकला रात को…?”
“वो तो आपका करते ही निकल गया था।” मेरी बात सुन कर उसकी मां सर नीचे करके चली गई।

बस अब दिन-ब-दिन यूं ही झग़ड़ा होने लगा। मैंने अपने पति के पास सोना बन्द कर दिया।

एक दिन वो बिना दारू पिये… और बिना बीड़ी पिये मेरे पास आये तो मुझे लगा शायद ये सुधर गये हैं। पर लण्ड घुसाते ही वो झड़ गये… अब वो मुझ पर हर रोज़ कोशिश करते, पर नहीं बना तो नहीं बना…

मैं अब जान गई थी कि ये काम के नहीं है। मैं मन ही मन सुलगती रहती थी। लगा मेरी जवानी यूँ ही चली जायेगी… यह कसक मन में उठने लगी थी। परिस्थितिवश मेरी निगाहें अब घर के बाहर उठने लगी थी।

मेरी सहेली मुमताज मेरी सभी बातें जानती थी। मेरे दिल की आग की लपटें वो भी महसूस करती थी।
“गौरी, मेरा चचेरा भाई आज आ रहा है… तू कहे तो तुझे उससे मिलवा दूँ!”
“नहीं, मम्मो… मुझे शरम आवेगी… जाने दे!”
मैं उसकी बातों से सकपका गई थी। पर वो जानती थी कि दबी चिंगारी से मैं कैसे जल रही थी।

दूसरे दिन सवेरे ही मोबाईल पर मुमताज ने मुझे खबर भेजी कि भैया आ गया है… बस एक मिनट के लिये मिलने आजा।
मैं सोच में पड़ गई, कि कैसा होगा… कहीं यह भी मेरे पति जैसा ना हो। इसी उधेड़बुन में मैं उसके यहाँ पहुंच गई।

“अल्लाह रे अल्लाह… ये… तेरा भाई है…?!!” यूनानी मूर्ति की तरह एक हसीन लौण्डा सामने मुस्कुरा रहा था। मैं तो उसे देखते ही जैसे घायल सी हो गई। मैंने अपने लिये इतने हसीन नौजवान की कल्पना तक नहीं की थी।
“चुप हो जा गौरी… मस्त लण्ड है इसका… जैसे मुझे चोदता है ना… तुझे भी भचक-भचक करके चोद देगा… देख है ना छः फ़ुटा… गोरा चिट्टा… पहलवान…!”
“मेरे मौला… इसकी पोन्द कितनी मस्त है… तू भी उससे चुदाती है ?”
“ऐसी मस्त चीज़ को भला मैं हाथ जाने देती… ये मेरी किस्मत का है गौरी!”

मम्मो मुस्करा उठी। उसकी कसी हुई जीन्स देख कर जैसे मैं तड़प उठी। यही है जिसकी बात मम्मो कर रही थी। ये तो मुझे पूरा लूट ही लेगा।
“ऐ मोडी… हां तू… इसे अन्दर रख दे…! ” साजिद ने पुकार कर कहा। मैंने अपनी तरफ़ अंगुली कर के कहा,”क्या मैं… ?” मैं झिझकते बोली।

“अरे… आप…! आप कौन है…! आं हां… नहीं मोहतरमा, मैं तो सुरैया को बुला रहा था।” उसने मुझे घूर कर देखा। मैं शर्मा सी गई। मैं तो दिल ही दिल में उस पर मर मिटी। वो धीरे धीरे चलता हुआ मेरे करीब आ गया… “आप तो बहुत खूबसूरत है… खुदा ने कैसा तराशा है…!” उसने मुझे नीचे से ऊपर तक देखा।
“हाय अल्लाह… तेरे अकेले पर ही जवानी फ़ूटी है क्या… “मैंने उसे गाली सी दी और हंस पड़ी।

“नहीं आप पर जवानी फ़ूट रही है… जरा कभी आईने में देखो… बला की खूबसूरती है आप में!” वो बेशर्मी से बोले जा रहा था।
“मर जा मरदूद… आग लगे तेरी जवानी को… ” मैं उसकी बेबाकी पर उसे गालियाँ देने लगी।
“अरे गौरी… साजिद का प्यार भरा पैगाम कबूल तो कर ले!” मम्मो ने मुझे बहलाया।

“हाय री मम्मो देख तो कैसी मुह-जोरी कर रहा है!” फिर मैंने एक तिरछी नजर की उस पर कटार चलाई। लगा कि तीर दिल पर चल गया है। मैंने मुस्करा कर उसे देखा। अब तो वही मेरा तारणहार था… उसे मेरा उदघाटन करना था… मेरा उद्धार करना था। मेरी मुस्कराहट को उसके मेरा जवाब समझ कर मुस्करा दिया।

तभी मुमताज उसके पास गई और उसके कान में कुछ कहा। उसने अपना सर हिलाया और वो मुमताज के पीछे पीछे चल दिया। मुमताज ने मुझे आंख मार कर इशारा कर दिया। मेरा दिल धड़क उठा। क्या मामला अभी… नहीं… नहीं… इतनी जल्दी कैसे होगा।

पर नजर का जादू चल जाये तो क्या जल्दी और क्या देर… मेरा घायल दिल और परेशां दिमाग… खुदा की मरजी… हाय मेरे दिलदार… मन की कश्ती मौजों से घिर गई। मेरे कदम मुमताज के कमरे की ओर बढ़ चले।

“दिल नर्म… जबां गरम… जिस्म शोला… जाने किस की जान लोगी!”
“हाय अल्लाह… ऐसे ना कहो…! ” मैं शर्म से जैसे लाल हो गई।

“जवानी बला की, खूबसूरती जहां की… तन तराशा हुआ… खुदा ने जवानी की यही तस्वीर बनाई है!” साजिद मेरे गुणगान में लगा था। मेरी उलझी हुई लटें मेरे चेहरे पर आ गई। जुल्फ़ों के बीच में से मैंने उसे देखा… वो जैसे तड़प उठा,” सुभान अल्लाह… ये हंसी चेहरा… जनाब का क्या इरादा है।”

साजिद को आशिकाना लहजे में देख कर मुमताज वहाँ से चली गई। साजिद मेरे करीब आ गया।
“आदाब… संजू जी!”
मैंने झुकी पलकों और चुन्नी में चेहरे को लपेटे शरमाते हुये कहा।

“आपने कहा आदाब… हमने कहा जनाब हमारी तकदीर… आ दाब दूँ!” उसकी शरारत मेरे दिल को चीर गई।

“धत्त… आपकी बातें बहुत मन को भाती है… “मैंने उसे बढ़ावा दिया।
नतीजा तुरन्त सामने आया। उसने मुझे अपने पास खींच लिया.

“गौरी… मम्मो ने मुझे आपके बारे में बताया है… आप फ़िक्र ना करें… आप मुझे लूट सकती हैं… ये मुजस्मां आपका ही है… जैसे चाहो… जहां चाहो… इसे अपने रंग में रंग लो!”

“हमें डर लगता है… कहीं उनको पता ना चल जाये…!” मेरे माथे पर पसीना छलक आया था।

“देखिये मोहतरमा… इश्क और मुश्क छिपाये नहीं छिपता है… ये तो तन की प्यास है कोई इश्क मुश्क नहीं… मम्मो को रोज चोदता हूँ… आप भी वहीं पर… ”

मैंने उसके अधरों पर अंगुली रख कर उसे चुप कर दिया। मैं उसकी बातों पर रीझ गई थी, शरम से लाल हो रही थी। वह तो बेहयाई से बोला जा रहा था।

“बस ऐसे ना कहो… शरम भी कुछ चीज़ है!”मैंने उसकी चौड़ी छाती पर अपना सर रख दिया।

“गौरी… ऊपर वाले कमरे में चले जाओ… मैं बाहर से ताला लगा देती हूँ… वहाँ बाथरूम भी है… संजू अभी जा रहे हो क्या ?” मुमताज ने हमें ऊपर का रास्ता बता दिया।

“आजा गौरी… ऊपर आ जा!” और हंसता हुआ वो छलांगें मारता हुआ ऊपर चला गया।

मैं मुमताज से शरम के मारे लिपट गई। मुमताज की आंखों में आंसू थे…

“जा मेरी गौरी… अपना सपना पूरा कर ले… मन भर ले… तेरी आज सुहागरात नहीं सुहाग दिन है ऐसा समझ ले… जा मेरी प्यारी सहेली… मैं तुझ पर सदके जाऊं!”

“मम्मो, मेरी जान… मेरी सच्ची सहेली, तुझ पर कुर्बान जाऊं… “मैंने प्यार से उसके होंठो को चूम लिया। मैंने अपने नजरें नीची की और चुन्नी चेहरे पर डाल ली और धीरे धीरे सीढ़ियाँ चढ़ने लगी… ।

मुमताज नीचे से ऊपर जाते हुये मुझे देखती रही। अन्तिम सीढ़ी चढ़ कर मैंने पलट कर मुमताज को देखा। मुमताज ने प्यार से हाथ हिला दिया। मैंने भी उसे हाथ से एक प्यार भरा बोसा दे दिया और शरमा गई।

मैंने दरवाजा खोला और कमरे के अन्दर समा गई। उसी समय बाहों के घेरे मेरी कमर से लिपट गये। मैं सिमट सी गई। मेरे गालों पर एक प्यार भरा चुम्बन भर दिया। मैंने पलट कर संजू को देखा। मैंने अपने आपको छुड़ाने की असफ़ल कोशिश की। उसकी आंखों में प्यार उमड़ रहा था। उसने मुझे गले से लगा लिया और मुख से मुख रगड़ खा गये। उसकी खुशबू भरी सांसें मेरे जिस्म में बसने लगी। उसके हाथ मेरे सर पर नरम बालों में अंगुलियों से मालिश से सहलाने लगे। उसकी शरीर की गर्मी मुझे पिघलाने लगी।

“मेरे मालिक… मेरे आका… मुझे अपनी दासी बना लो… अपने दिल में जगह दे दो” मैं उसके कदमो में झुक सी गई।

उसने मुझे सम्भालते हुये कहा,”हुस्न-ए-मलिका, तुझ पर बहार आई हुई है… तेरे ख्वाब अब मेरे हैं… इन्शा अल्लाह… आज से तू मेरी हुई… तुझ पर खुदा का फ़जल बना रहे… तू मेरी बने रहना… आज से तेरा दुख मेरा है और मेरी खुशी तेरी है… या मेरे अल्लाह…!”

मैं संजू के शरीर से लिपटती चली गई। एक मोहक सी वासना घर करने लगी। सुन्दर, मनमोहक, काम देवता सा कामुक रूप जैसे शरीर का मालिक था संजू।

मेरे नसीब में उसका सुख लिखा था। मेरी चूनरी मेरी छाती से ढलक गई थी। मेरे उन्नत उभार जैसे पहाड़ियों के तीखे शिखर उसके हाथों में मचल उठे। उसने मेरे ब्लाउज के बटन चट चट करके खोल डाले। मेरा गोरा तन उसकी आंखो में समा गया। मेरे उभार कठोर हो चुके थे। जिया धक धक करने लगा था। दिल जैसे उछल कर बाहर निकला जा रहा था। मेरी साड़ी उसने धीरे से उतार कर पास में रख दी। शायद मेरे पोन्द और चूत की कल्पना उसके दिल को बींध रही थी। ऐसे में उसने अपना जीन्स और चड्डी भी उतार दिया और अपना लण्ड मेरे सामने कर दिया।

“हुजूर की तमन्ना हो तो शौक फ़रमायें… आपकी सेवा में लण्ड हाजिर है!”

उसका मर्दाना लण्ड देख कर मैं एकबारगी सिहर गई। आह्ह्ह्… लण्ड इसे कहते हैं!!! मैं असली मर्द को देख कर शरमा गई। उसने बड़े सम्मान के साथ अपना लण्ड मेरे होंठों के आगे पेश कर दिया। मैं अपना बड़ा सा मुह फ़ाड़ कर उसे जैसे निगलने की कोशिश करने लगी। इतना बड़ा और मोटा था कि मुँह में भी ठीक से नहीं आ रहा था। थोड़ी देर तक लण्ड का रस पान किया, पर मैंने ऐसा कभी नहीं किया था।

“मेरे दिलवर, आपकी नजरे-इनायत चाहिये… बस मेरी गहराईयों में अब शहद भर दीजिये… मुझे जन्नत की सैर को जाना है… “मैंने शरमाते… और झिझकते हुये मन की बात कह दी।

“जनाबे आली, बिस्तर हाजिर है… इल्तिजा है आप अपने नरम और गरम चूतड़ों की तशरीफ़ यहां रखें!”

“धत्त्… आप तो मजाक करते हैं… ” उसके मजाक से मैं झेंप सी गई।

मैं बिस्तर पर लेटते हुये बोली,” नहीं, ये मजाक नहीं… सच है कि अब आपका दिल मैं खुश कर दूंगा!”

वो बिस्तर पर चढ़ आया। उसने मेरा पेटीकोट ऊपर उठा दिया और कमर तक नंगी कर दिया। मेरी नंगी चूत उसके सामने थी। उसके होंठ मेरी चूत से चिपक गये और झांट को अलग करके चूत खोल दी। मैंने अपनी आंखे बन्द कर ली। उसकी लपलपाती जीभ मेरी रसीली चूत का रसपान करने लगी।
मैंने अपना पेटीकोट शरम के मारे उसे ओढ़ा दिया। अब वो मेरे पेटीकोट के भीतर था। मेरी चूत का रस चूसने के बाद वो मेरी टांगो में बीच में सेट हो गया। उसने चमड़ी खींच कर सुपाड़ा बाहर निकाल लिया और उसे मेरी चिरी हुई धार के अन्दर घुसाने लगा। मुझे लगा कि यह अन्दर नहीं जा पायेगा। पर आश्चर्य हुआ कि थोड़ा जोर लगाते ही लाल सुपाड़ा अन्दर चूत की छेद में फ़ंस गया।

तभी बाहर से आवाज आई,”गौरी… ताला लगाना है… सुना क्या…?”

तभी मेरे मुख से एक आह निकल पड़ी। मुमताज ने सिसकी सुन ली और समझ गई कि चुदाई चल रही है… इसलिये उसने ताला बाहर से लगाया और चली गई।

साजिद भी अब बेकाबू होता जा रहा था। उसका लण्ड धीरे धीरे मेरी चूत में घुसता चला जा रहा था। दर्द बढ़ता ही जा रहा था। उसने एक जोर से धक्का देकर अपना मोटा लण्ड पूरा भीतर घुसेड़ दिया। मेरे मुख से एक जोर की चीख निकल गई। लगा कि चूत फ़ट गई। मैंने संजू को हटाने की कोशिश की, पर उसने मुझे जकड़ रखा था। तभी दूसरा भरपूर शॉट लगा। फिर एक चीख निकल पड़ी।

“उह्ह्ह… अम्मी जाऽऽऽऽन, अरे बस करो… लगता है फ़ट गई है…” मैं दर्द से तड़प उठी थी।
“गौरी, तुम तो शादी शुदा हो, फिर ये चीख, ये खून… पहली बार चुद रही हो?”
मेरी आंखों से आंसू निकल पड़े। मैंने हां में सर हिलाया।

“फिर मेरी जान, ये तो कभी तो होना ही था… आपका पर्दा हटा है… अब कोई परेशानी नहीं आयेगी!” वो मुझे फिर प्यार करने लगा। मुझे चूमने चाटने लगा। मेरे उरोज दबाने लगा। कुछ ही देर मुझे फिर से उत्तेजित कर दिया। पर इस बार वो मुझे बहुत धीरे धीरे और प्यार से चोद रहा था। मेरे शरीर में एक बार फिर से उन्माद भरने लगा। वासना भरने लगी। मेरी आंखों में नशा चढ़ने लगा।
“क्यो गौरी… चूत में मिठास भरी या नहीं…? ”

उसकी भाषा मेरे दिल पर कसकती हुई सी मिठास भर गई। मैं शरमा उठी। एक तो मेरा पति जब गालियाँ देता था तो मुझे ग्लानि होने लगती थी… पर यहाँ तो वही गाली मेरी उत्तेजना बढ़ा रही थी। उसकी चुदाई की रफ़्तार बढ़ने लगी थी। मैं मदहोश होती जा रही थी। प्यार भरी चुदाई ऐसी होती है, यह मुझे पहली बार अनुभव हुआ। मैंने अब मस्त हो कर चुदाना शुरू किया। नीचे से उसकी ताल में ताल मिलाने लगी… अपनी दोनों टांगें चौड़ा कर हाथ फ़ैला कर मस्तानी हो कर लेटी थी। आंखें बन्द करके रूमानी दुनिया की सैर करने लगी। कभी मेरी चूंचियाँ मसली जा रही थी, तो कभी उसका मोटा लण्ड मेरी चूत की पिटाई कर रहा था।

उसका लण्ड अब पूरी ताकत से चूत में अन्दर बाहर हो कर अपनी गुदगुदी शान्त करना चाह रहा था। जन्मों से प्यासी चूत लण्ड को गपागप निगले जा रही थी। चुचूक तो मरे रबड़ की तरह खिंचे जा रहे थे।
“या अल्लाह, चुद गई आज तो… इसे कहते हैं चुदाई… ” मेरी सिसकियाँ तेज हो उठी थी।
“मेरी जान, तेरी नई चूत का स्वाद मिला है आज तो, क्या तेरा आदमी तुझे हाथ भी नहीं लगाता था…?”

“संजू, वो तो हिजड़े की तरह है… उसका लण्ड तो छोटा सा है… और घुसते ही अपना माल निकाल देता है… चोदेगा कैसे भला… संजू… मुझे तो तेरा यह सदा बहार मुन्ना मिलेगा ना?”
“हट रे… ये इतना सोलिड तुझे मुन्ना लगता है… ये तो मदमस्त लौड़ा है… खायेगी तो मेरी गौरी इसे मांगेगी मोर… एण्ड वन्स मोर… ”
“अब जोर लगा के बजा दे राजा… ” मैं वासना से भरी उससे लण्ड मांगने लगी।
“गौरी, आज तो तेरी बजाने में ही मजा आ रहा है… मस्त झांटों भरी ओरिजनल चूत है!”

साला, कितना रसीला बोलता है… दिल और चुदाने को भड़क उठता है। मैं उसे अपनी ओर खींचने लगी और चिपटने लगी। मेरी चूत लपलपा उठी। मिठास से भर उठी।
तभी जैसे मेरी नसें चूत की ओर खिंचने लगी। मेरे तन में एक लहर सी उठने लगी। जैसे मैं तड़प गई… मेरा पानी उतरने लगा… मैं खाली सी होने लगी… झड़ने लगी… “सन्जू, मेरे मालिक… मुझे ये क्या हो गया है… मेरी मुनिया तो आह्ह्ह्ह… गई मैं तो… मेरे राजा… निकल गया पानी…!”
“अरे अभी नहीं, अभी तो शुरू ही किया है गौरी…!” संजू ने चुदाई ओर तेज कर दी।

“हाय मैं तो मर गई… सारा निकला ही जा रहा है…!” मेरी चूत पानी से फ़च फ़च करने लगी। मैं झड़ रही थी। उसने तभी अपना फ़ूला हुआ लौड़ा निकाला और मुझे पलटने को कहा। पहले तो मुझे समझ में नहीं आया कि इसका क्या मतलब है। मैं पलट कर उल्टी हो गई। संजू ने मेरे पोन्द को अपने हाथों से चीर दिया।

मेरा खूबसूरत गुलाब खिल उठा। उसने थूक का एक बड़ा लौंदा मेरे गुलाब पर टपकाया और फ़ूला हुआ सुपाड़ा छेद पर दबा डाला। मुझे मालूम हो गया कि ये गाण्ड मारने का शौकीन भी है।

“अरे सन्जू… नहीं रे… मैं मर जाऊंगी… ” उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गाण्ड में अन्दर घुस कर फ़ंस सा गया।
“गाण्ड ढीली छोड़ ना… मुझे लग जायेगी… ” संजू का लण्ड दब सा गया।
मैंने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी। लण्ड का डण्डा गाण्ड में उतरने लगा। मैं दर्द से तड़प उठी।
“बस कर मेरे मालिक… ये फ़ट जायेगी… “मैं रुआंसी हो गई, आज तो मेरा अंग अंग जैसे खूब पिट गया हो।

“एक दिन तो फ़टना ही है ना… ये पोन्द को तो मैं मारूंगा ही… साली ने मुझे बहुत तड़पाया है… तू मस्त रह… इसे कुछ नहीं होगा… बस चुद जायेगी… ”
“हाय अम्मी जान… बचा ले मुझे… मर गई मैं तो… ”

तभी उसने अपना लण्ड बाहर खींचा, मुझे राहत सी हुई… पर दूसरे ही पल भचाक से लण्ड गाण्ड में पूरा अन्दर तक बैठ गया। उसका हाथ मेरे मुख पर आ गया और मेरी चीख दब गई। उसने मेरा मुख दबा कर दो तीन शॉट्स और खींच मारे… हर बार मेरी चीख वो दबा देता…

“सहना सीखो मेरी जान… अब तो ये रोज का मामला है… मम्मो को देख, क्या चुदती है साली… मेरा तो पूरा माल जैसे निचोड़ कर पी जाती है… ”
उसने मेरे मुख से अब हाथ हटा दिया था और धीरे धीरे धक्के मार रहा था।

दर्द कम हो गया था। पर मैं निढाल सी हो गई थी… तभी उसका लण्ड छूट गया… ढेर सारा वीर्य मेरी पीठ पर फ़ुहारों के रूप में फ़ैल गया। मैं उल्टी लेटी निश्चल सी पड़ी हुई थी। मेरी लम्बी लम्बी सांसें अभी तक कन्ट्रोल में नहीं आई थी। साजिद ने बडे प्यार से मेरी चूत, गाण्ड और पीठ को साफ़ कर दिया।

“अब उठ जाओ… मजा आया?” साजिद ने मुस्कराते हुये पूछा।

मैंने धीरे से अपना सर हां में हिला दिया। वास्तविक चुदाई तो मेरी आज ही हुई थी। सारा जिस्म तोड़ कर रख दिया था। मेरी कमर, चूत, गाण्ड और चूचियाँ दर्द से जैसे कसमसा रही थी। हमने अपने कपड़े ठीक से पहन लिए और साजिद ने मोबाईल करके मुमताज को बता दिया कि सारा कार्यक्रम सफ़लता पूर्वक निपट गया है। तभी मुझे साजिद ने अपनी गोदी में बैठा लिया और प्यार करने लगा। उसके प्यार से मेरा दिल खिल उठा। काश…… मेरे नसीब में ऐसा प्यार होता… ”

तभी ताला खोल कर मुमताज़ अन्दर आ गई। मैंने उसकी गोदी से उठने की कोशिश की, पर साजिद ने मुझे नहीं छोड़ा।
“संजू! छोड़ो ना… देखो मम्मो देख रही है!” मैं उसकी गोदी में कसमसा गई।

“गौरी, तुम्हें प्यार की बहुत जरूरत है… प्यार कर लो… मुझसे क्या शरमाना… देखो रात को ये तुम्हारे सामने ही ये मुझे चोदेगा… अब मुझसे शरम छोड़ दो… मुझे तो अपनी बहन समझ ले!”

पर स्त्री-सुलभ-लज्जा कहाँ छूट पाती है, वह भी जब कोई तीसरा हो सामने तो… । मैं जोर लगा कर सिमट कर एक तरफ़ चेहरा छुपा कर खड़ी हो गई। मुमताज़ ने मेरी बांह पकड़ी और कमरे से बाहर ले आई। शरम मारे तो उससे आँख भी नहीं मिला पा रही थी।

“बस ना… बहुत शरमा ली अब… चल अब बेशरम हो जा… रोज रोज चुदना है तो ये सब नहीं चलेगा!” उसकी बात मेरे दिल पर किसी मीठे तीर की तरह लगी।

“हाय मम्मो… बडी बद्तमीज़ हो गई है!” उससे बांह छुड़ा कर कर मैं तेजी से भागी और सीढ़ियाँ उतरने लगी। वो हंस पड़ी। नीचे आकर मैंने ऊपर खड़ी मुमताज को देखा और खुशी में चुन्नी अपने मुख पर लपेट कर भाग ली। मुमताज की आंखों में मेरी खुशी देख कर आंसू के दो मोती उभर आये थे।

शाम तक मेरा शरीर किसी फ़ोडे के समान टीस रहा था। मेरे चुचूक सूज गये थे। चूचियों के गोले भीतर से दर्द से कसक रहे थे। ग़ाण्ड के फ़ूल पर भी सूजन थी… और चूत पर तो जैसे अभी तक कोई लोहा घुसा हुआ सा जान पड़ रहा था।

मेरे मौला, चुदाई क्या ऐसी होती है… तौबा मेरी… अब नहीं चुदना मुझे। पर मन में ये कैसी शान्ति सी थी। रात को मुझे बहुत ही प्यारी नींद आई थी। ऐसी संतुष्टि पहली बार महसूस की थी।

तीन चार दिन में जा कर मेरा दर्द ठीक हो पाया… तब मुझे साजिद फिर से याद आने लगा था… उसकी चुदाई मन को रोशन कर रही थी, मन में बस गई थी… रोज मैं मम्मो से पूछती… कि अब वो कब आयेगा… कब आयेगा… कब आयेगा. Antarvasna Sex Stories

Antarvasna Stories

मैं बिहार प्रान्त Antarvasna Stories के हाजीपुर जिले का रहने वाला हूँ। उम्र 25 साल होगी…

काम के सिलसिले में लुधियाना अक्सर जाना रहता था! वहीं कुकरेजा साहब को नौकर की ज़रूरत थी तो सोचा क्यों न मैं ही लग जाऊँ! साहब का बड़ा कारोबार था! वो अक्सर विलायत में रहते थे और मेमसाहब हमेशा पार्टी क्लब में रहती थी! उनकी एक बेटी थी .. बेटी क्या मानो अप्सरा .. जो जन्नत से उतरी हो…
हम प्यार से छोटी मेम कहते थे।

छोटी मेम हमेशा टीवी काम्पुटरवा में लगी रहती थी… ..और मैं अक्सर छोटी मेम का छुप छुप कर दीदार किया करता था…
छोटी मेम जूस पी लो…
ओह्ह हो! राजू सोने दे ना…
छोटी मेम हमेशा बड़ी बेखबर होकर सोती थी…

उस दिन भी… उनकी नायटी थोड़ी ऊपर थी और उनकी लातों के बीच गांड के दरार बिल्कुल साफ़ नज़र आ रही थी, शायद अन्दर पैंटी नहीं पहनी है… उनकी गोरी गोरी .. भरी भरी जांघें .. उनकी गोल गोल अध-खिली चूचियाँ ..

ओह यह अमीरों के जिस्म भी ना! मानो क़यामत .. वरना हमरा गाँव की लड़कियाँ .. भूरी-काली टांगें! वो भी बालदार .. छोटी चूची.. मुरझाई सी गांड… राम राम लंड का इन्सल्ट हो समझो ..
राजू! नहाने का पानी दे दिया ..?

अभी देता हूँ मेम… कहकर मैं गरम पानी बाल्टी में ले जाने लगा… शुक्र है वो क्या कहत है गीजर ख़राब था…
मैंने देखा कि मेम काली ब्रा और पैंटी में बाथरूम में इन्तज़ार कर रही थी…

उनकी पतली पेट में वोह नाभि के पास जो तिल था मानो काला हीरा .. वो बार बार अपने चूची चू रही थी ..
मेरा लंड लुंगी के बाहर झांकना चाह रहा था…
चिकनी पीठ मानो मक्खन जैसे…
घुटने और पिंडलियाँ… यौवन की मलिका .. कामसूत्र की पहेली… लंड का पहला रस छुट गया मेरा!

राजू! बोलकर अन्दर आया करो ..! कहकर मेम ने तौलिया ओढ़ लिया।
जाओ अब ..! बेवकूफ कहीं का…!

मैं चुपचाप अपने कमरे में चला गया… मैंने अपना लंड निकला… खड़ा था और रस टपक रहा था।
चल बैठ जा ..मेरे लंड, तू गरीब है .. तेरे नसीब में वो कहाँ??

मेम नहा कर बाहर आई .. उजले कपड़ों में छोटी मेम का गीला गीला जिस्म साफ़ नज़र आ रहा था .. उनकी वो खुशबू पागल बना दे .. वो पंजाबी छरहरी बदन!
राजू मेरा जूस??
जूस पी पी कर उनके चूची भी जूस से भर गई थी…

साली को अपने बॉय फ्रेंड से मिलना था आज…

दोपहर का समय था .. बड़ी मेम बाहर गई थी .. तभी छोटी मेम का बॉयफ्रेंड आया ..
लम्बा चौड़ा .. पूरा पंजाबी .. चौड़ी छाती .. पता नहीं हरामी का लंड कितना बड़ा होगा??
मेरी नाजुक सी मेम को इतना दर्द देता होगा ..
कहाँ मेरा कद .. काले कावा की तरह ..

कमरे में क्या हुआ पता नहीं पर वो लौंडा चला गया और मेम जोर जोर से रोने लगी ..
मेम क्या हुआ?? मैं डरते हुए पूछा।

तभी मेम मुझसे चिपक कर रोने लगी ..
मेम की मुलायम चूची मुझे चुभने लगी ..
उनकी बुर को मेरा लौड़ा चूमने को तैयार होने होने लगा…

उनकी गुलाबी होंठ ने मेरे होंठो को चूमा…
राजू मुझसे कोई प्यार नहीं करता… मुझे कभी प्यार नहीं मिला??
मेरे तो परखचे उड़ गए…
मेम…
राजू मुझे प्यार करो ना… लव मी..

ओह! शायद अमीरजादे ने मेरी मेम का दिल तोड़ दिया…
मैंने अपनी मेम को बेड पर लेटा दिया और उनकी मस्त मस्त चूची दबाने लगा…
ओह्ह राजू धीरे धीरे से करो ..

मैंने मेम की सलवार को खोला और फिर क्या छोटी मेम नंगी लेट गई .. मैंने अपना लुंगी गंजी खोली और कूद पड़ा मैदान ऐ ज़ंग में…

मैंने जांघें फैलाई और देसी कुते के तरह विदेसी मेम को नोचने लगा ..

मैं उसकी गांड की छेद में अपने जीभ अन्दर बाहर करने लगा .. वो मस्त हो रही थी और बुर का पानी छुट रहा था .. अहह यह मत करो मेरी बम्स गन्दी है!

नहीं छोटी मेम! इससे तो खुस्बो आवत है…

फिर उसके छरहरी बदन में अपना लौड़ा रगड़ने लगा .. मेम जी आप भी इसे चूसो न..

मैंने उसके लाख मना करने पर अपने लंड उसके गरम होंठों के अन्दर ठूंस दिया- अहह मेम और चूसो न ..

बेचारी को शायद यह पसंद नहीं था…

फिर उसकी मचलती हुई बुर में अपना लौड़ा रखा और एक ही हचके में… फुस्स अन्दर घुस गया बिडू..
मेम चीख पड़ी… उई मम्मा उई आह अह… राजू नहीं राजू अहह

मैंने मेम की टांगों को अपने कंधो पर रखा और दे दना दन चोदने लगा .. उसकी बुर फट गई ..

बुर के होंठो पर लाली छा गई ..
अई जानवर कहीं के…

उसके भोसड़े तक मेरा मेरा टोपा तांडव करने लगा ..
अमीरों के कितने मज़े है रोज़ ऐसी मेम चोदने को मिलती होगी…

आज मेरे गरीब लंड का लोटरी लग गई
मैंने मेम को घोड़ी बना दिया और अपने पीछे से चढ़ गया..
उसके बालों को पकड़ा और धक्के मारने लगा ..

हरामी मुझे दर्द हो रहा है… बस भी कर .. अहह
आह, मैं स्खालित हो गया मेरा फव्वारा उसकी बुर में छुट पड़ा…
उई कितना गरम लावा है… मेरी फुद्दी जल जायेगी… आह

उसका जिस्म ठंडा हो गया और मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया…
यही फर्क है विदेसी माल में ..

देसी लौंडी रहती तो बार बार चुदवाती..
आप ठीक तो है न… मेम?
तेल लगा दूँ…?

वो पूरी रात मैं मेम की फटी हुई बुर पर तेल मालिश करता रहा…
मेम, एक बात कहूँ…
हाँ राजू बोलो!

कहकर अपनी टांगें जोड़ ली और मुझे बिस्तर में बैठा लिया…
छोटी मेम आइ लव यू… Antarvasna Stories

Hindi Sex Stories

एक दिन ऑफिस में शाम को जब Hindi Sex Stories काम खतम हो गया तो मीना मेरे पास आयी और बोली, “सर! मेरे भाई का कॉलेज में एडमिशन हो गया है…… इससे घर के खर्चे बढ़ गये हैं, इसलिये मैं अपसे एक रिक्वेस्ट करने आयी हूँ।”

“अगर तुम तनख्वाह बढ़ाने की बात लेकर आयी है तो मैं पहले से ही ना कर रहा हूँ।”

“नहीं सर! तनख्वाह की बात नहीं है, अगर आप मेरी माँ को नौकरी दे सकें तो मेहरबानी होगी, मैंने सुना है एच.आर डिपार्टमेंट में जगह खाली है, मेरी मम्मी वहाँ कुछ साल काम कर चुकी है।”

“मैं इस बारे में सोचुँगा”, मैंने हँसते हुए कहा, “तुम्हारी मम्मी काम के बारे में तो जानती है लेकिन क्या वो कंपनी कि दूसरी पॉलिसी के बारे में जानती है?”

“तो क्या आप मेरी मम्मी को भी चोदेंगे?” मीना ने चौंकते हुए पूछा।

“तुम्हें पता है कि कंपनी की पॉलिसी क्या है और कंपनी का डी.एम.डी होने के नाते मैं पॉलिसी नहीं बदल सकता”, मैंने जवाब दिया, “लेकिन तुम अभी अपनी मम्मी से कुछ ना कहना…… मुझे पहले एम-डी से बात कर लेने दो।”

मैंने एम-डी को फोन लगाया और बताया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“उसे रखना है तो रख लो! काफी मेहनती औरत है और चोदने के लिये भी अच्छी है। तुम्हें उसे चोदने में मज़ा आयेगा। मैंने कई बार उसे चोदा है और दोबारा भी चोदना चाहुँगा, पर मीना को क्या कहोगे?” एम-डी ने कहा।

“सर! मैं मीना को बता चुका हूँ कि अगर वो यहाँ पर कम करेगी तो मुझे उसे चोदना पड़ेगा।”

“ठीक है! तुम उसे कल बुला लो”, एम-डी ने फोन रखते हुए कहा।

शाम को जब मैं घर पहुँचा तो प्रीती घर पर नहीं थी। जैसा कि हफ़्ते में दो तीन बार होता था…. प्रीती जरूर किसी क्लब में गुलछर्रे उड़ा रही थी। देर रात वो नशे में धुत्त लड़खड़ाती हुई कार से उतरी तो मैंने कुछ बात करना मुनासिब नहीं समझा। सुबह जब वो उठी तो मैंने कहा, “प्रीती! तुम्हारे लिये एक खबर है।”

“तुम्हारे लिये भी मेरे पास एक खबर है, लेकिन पहले तुम बोलो!” प्रीती बोली।

“मीना ने सिफ़ारिश की है कि मैं उसकी माँ को काम पर रख लूँ…… एम-डी ने भी हाँ कर दी है।”

“जाहिर है तुम उसे चोदोगे!” प्रीती ने हँसते हुए कहा।

“तुम्हें कंपनी की पॉलिसी का तो पता है!”

“सुनील! मैं देख रही हूँ कि इन दिनो तुम चुदी हुई चूतों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हो, इसमें कहीं मुझे ना भूल जाना”, प्रीती हँसी।

“तुम्हें और तुम्हारी चूत को कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरे लिये स्पेशल हो। तुम तो जानती हो कि मुझे चोदने में कितना मज़ा आता है। अगर मेरे पास साठ साल की बुढ़िया भी काम माँगने आये तो मैं उसे भी बिना चोदे काम नहीं दूँ। हाँ… अब तुम बताओ क्या खबर है?”

“घर से खत आया है…. राम और श्याम की शादी पक्की हो गयी है”, प्रीती खुश होते हुए बोली।

“मुबारक हो तुम्हें! क्या वो दो बहनों से शादी कर रहे हैं?”

“नहीं दोनों अलग परिवार कि लड़कियाँ हैं”, प्रीती बोली।

“तुम कितने दिन के लिये जाना चाहती हो?” मैंने पूछा।

“एक महीना तो लग ही जायेगा।” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“एक महीना! इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे रह सकुँगा।”

“ऑफिस में इतनी सारी लड़कियाँ हैं चोदने के लिये, एक महीना कहाँ बीत जायेगा कि तुम्हें एहसास भी नहीं होगा”, प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।

“लड़कियाँ तो आज भी हैं…. पर तुम तो जानती हो कि रात को मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।”

“मेरे बिना या मेरी चूत के बिना!” प्रीती मुस्कुराते हुए बोली।

“प्रीती! अब ये अच्छी बात नहीं है….” मैंने नाराज़गी जाहिर की।

“अरे बाबा! नाराज़ मत हो….. मैं जानती हूँ, इसलिये मैंने रजनी से कह दिया है कि वो रोज़ शाम को तुम्हारे पास आ जाया करेगी और कभी-कभी रात को भी रुकेगी।”

“ठीक है!!! कब जाना चाहती हो?”

“मैंने कल सुबह की फ्लाइट की टिकट बुक करा ली है”, प्रीती ने जवाब दिया।

दूसरे दिन प्रीती को एयरपोर्ट छोड़ कर मैं ऑफिस पहुँचा तो मिसेज महेश को मेरी वेट करते देखा, “आयेशा!! जरा मिसेज महेश को मेरे केबिन में भेजना?”

मिसेज महेश वाकय काफी आकर्शित महिला थी। उनकी उम्र पैंतालीस के आसपास होने के बावजूद शरीर गठीला था, भरे हुए मम्मे और लंबे बाल। उन्होंने काली रंग की साड़ी, मैचिंग का ब्लाऊज़ और काले ही रंग के बहुत ही ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन रखे था। दिखने में काफी सुंदर लग रही थी।

मैं उनके सर्टिफिकेट्स देखने लगा। इतने में एम-डी ने केबिन में कदम रखा।

“हाय अनिता! कैसी हो? कई दिनों से तुम्हें नहीं देखा”, एम-डी ने कहा। मिसेज महेश एम-डी से मिलने के लिये उठीं तो एम-डी ने उन्हें बाँहों में भर लिया और उनकी छाती दबा दी।

“अनिता! सुनील तुम्हारे सर्टिफिकेट्स देख चुका है, अब वो तुम्हारी चूत देखना चाहता है। चलो कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ जिससे इंटरव्यू शुरू किया जा सके”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।

“क्या आप हर केंडिडेट का इंटरव्यू उसे चोद के लेते है?” अनिता ने मुस्कुराते हुए कहा।

“ये हमारी कंपनी की पॉलिसी है, चलो अब झिझको मत…. वैसे भी तुम बगैर कपड़ों में और ज्यादा सुंदर दिखती हो और मुझे पता है तुम्हारी चूत चुदाई के लिये हमेशा तैयार रहती है”, एम-डी ने कहा। अनिता थोड़ा शर्माते हुए अपने कपड़े उतारने लगी और अचानक वो रुक गयी।

“तो इसका मतलब है, मीना को नौकरी देने से पहले आप लोग……?” अनिता ने पूछा।

“हाँ अनिता!!! खूब अच्छी तरह चोद-चोद कर ही मीना को काम पर रखा है, चलो अब तुम भी तैयार हो जाओ, आज तुम्हें एक ऐसे लौड़े से चुदवाने को मिलेगा जो तुम्हारे स्वर्गवासी पति के लौड़े से भी बड़ा है।”

“तब तो मैं जरूर देखुँगी!!!” अनिता ने तेजी से अपने कपड़े उतारे और सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी हो गयी। थोड़ी देर में हम तीनों ही नंगे हो चुके थे। “ओहहह…ऊऊऊ सर! ये तो वाकय में बहुत मोटा है”, अनिता मेरे लंड को पकड़ सोफ़े पर लेटती हुई बोली।

“सर! ज़रा धीरे से चोदियेगा”, मैंने अपने पति के मरने के बाद इतने बड़े लंड से नहीं चुदवाया है।

“जैसा तुम कहोगी मेरी जान!” कहकर मैंने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक पेल दिया।

“ऊऊऊऊऊऊ मर गयीईईई… अनिता चींखी, सर धीरे से चोदिये ना।”

मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा, “हाँ सर! ऐसे ही…” अनिता भी अपने चूतड़ उछाल कर मज़े लेने लगी।

एम-डी हम दोनों की चुदाई देख रहा था। उसने फोन उठाया और कुछ कहा। थोड़ी देर में मीना केबिन में आयी। एम-डी ने उसे शाँत रहने को कहकर कपड़े उतारने का इशारा किया।

थोड़ी देर में एम-डी ने नंगी मीना को मेरे बगल में लिटा कर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया। “ऊऊऊह सर! थोड़ा धीरे से, मीना सिसकी।”

अपनी बेटी की आवाज़ सुन कर अनिता ने मुँह घुमा कर देखा कि मीना भी उसे ही देख रही थी। दोनों माँ बेटी एक दूसरे को देख रही थीं और हम दोनों उन्हें चोद रहे थे।

थोड़ी देर में ही वो अपने कुल्हे उछाल कर हमारी थाप से थाप मिला रही थीं। उनके मुँह मादक आवाज़ें निकल रही थी।

“हाँ सर!!!!! मुझे जोर से चोदो”, अनिता ने मुझे जोर से बाँहों में भरते हुए कहा, “हाँआँआँ ऐसे ही!!!!!! हाँ और जोर से!!!!!!!!”

“ओहहहहहह हाँआँआँ……. हाँआँ…… ऊऊऊहहहह….” मीना भी चिल्लाये जा रही थी, “हाँ सर चोदो मुझे!!!!! जोर से!!!!!! मेरा छूटने वाला है!!!!”

एम-डी ने सच कहा था, अनिता की चूत सही में चुदक्कड़ थी, वो एक अनोखे अंदाज़ में अपनी चूत की नसों से लंड को जकड़ लेती थी। मुझे अपने लंड के पानी में उबाल आता दिखा और मुझसे रुका नहीं जा रहा था। मैंने एक एक्सप्रेस ट्रेन की तरह अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।

अनिता ने भी महसूस किया और बोल पड़ी, “ओहहहह सुनील सर! रुकिये मत….. चोदते जाइये!!!!! डाल दो अपना पानी मेरी चूत में…. मैं भी झड़ने वाली हूँ।” मैं ज्यादा देर रुक नहीं पाया और अपने वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“ओहहहहह कितना अच्छा लग रहा है”, वो सिसकी जैसे ही मेरी पहली पिचकारी छूटी, “मेराआआआआ भी छूट रहा है…… हाँआँआँआँ”, अपना बदन ढीला छोड़ कर वो अपनी साँसें संभालने लगी।

वहाँ बगल में मीना अपने कुल्हे उछाल कर एम-डी का साथ दे रही थी, “ओहहहह….. सर!!! मेरा छूटाआआ!!!!” और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। एम-डी ने भी दो चार धक्के लगा कर अपने वीर्य की बरसात उसकी चूत में कर दी। हम चारों अब ढीले पड़े अपनी साँसें काबू में कर रहे थे।

“मम्मी मुझे माफ़ कर दो, मुझे आपको पहले बता देना चाहिये था”, मीना ने अनिता से माफी माँगते हुए कहा।

मुझे समझ में नहीं आया कि वो अपनी चुदाई की माफ़ी माँग रही थी या अपनी माँ की चुदाई पर। “कोई बात नहीं मीना!!! जो होना था सो हो गया”, अनिता ने मीना को बाँहों में भरते हुए कहा।

“ओह मम्मा!!!! मुझे उम्मीद है आपको यहाँ काम करके मज़ा आयेगा”, मीना बोली।

“जरूर मज़ा आयेगा!!!! जब सुनील जैसा लंड मिल जाये चुदवाने के लिये तो किस औरत को मज़ा नहीं आयेगा”, अनिता ने बेशर्मी से कहा।

“चलो बहुत हो गया”, एम-डी ने कहा, “अब यहाँ आओ और हमारा लौड़ा चाट कर साफ़ करो।”

दोनों रेंग कर हमारे घुटनों के बीच आ कर अपनी जीभ से हमारा लौड़ा चाटने लगीं और फिर मुँह में ले उसे जोरों से चूसने लगी।

अनिता चुदवाने में ही माहिर नहीं थी, बल्कि लंड चूसने में भी उसका जवाब नहीं था। वो अपने मुँह को पूरा खोल कर लौड़े के जड़ तक ले जाती और जोरो से चूसते हुए अपने मुँह को ऊपर उठाती। बहुत ही दिलकश नज़ारा था। दोनों माँ बेटी का सिर हमारे लौड़े पर हिल रहा था।

मेरा लंड फिर एक बार झड़ने के लिये तैयार था, “अनिता जोर जोर से चूसो…….. मेरा छूटने वाला है।” मेरी आवाज़ सुन कर अनिता और जोरों से चूसने लगी। “मेराआआआ छूट रहाआआआ है!!!!!” मैं चिल्लाया।

अनिता मेरे लंड का सारा पानी पी गयी और एक बूँद भी उसने बाहर नहीं गिरने दी। अभी भी वो मेरा लंड चपड़-चपड़ कर के चूस रही थी। उधर एम-डी ने भी अपना पानी मीना के मुँह में छोड़ दिया।

“सुनील! जरा आयेशा को ड्रिंक्स लाने के लिये बोलना”, एम-डी ने कहा।

थोड़ी देर में आयेशा चार ग्लास, बर्फ और व्हिस्की की बोतल लेकर आयी। एम-डी ने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसके मम्मे दबाते हुए कहा, “सुनील! ये तो बहुत चुदासी लग रही है…… लगता है तुम इसे आजकल चोदते नहीं हो?” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“नहीं सर! इसे अपनी चुदाई का हिस्सा बराबर मिलता रहता है, लेकिन ये चुदाई को दवाई समझती है कि खाना खाने के बाद दिन में तीन बार लेनी चाहिये”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।

“लगता है इसकी चूत की प्यास मुझे ही बुझानी पड़ेगी!” एम-डी ने उसकी सलवार नीचे खिसका कर उसकी चूत में अँगुली डालते हुए कहा।

“सर! ये तो बहुत अच्छी बात है, आप मुझे अभी चोदेंगे या बाद में?” आयेशा खुश होते हुए बोली।

“अभी मुझे कुछ काम है, तुम ऐसा करो… शाम को पाँच बजे आ जाओ”, एम-डी ने कहा।

आयेशा के जाने के बाद मैंने और एम-डी ने बाकी का इंटरव्यू अनिता और मीना की गाँड मार कर पूरा किया। अपने कपड़े पहनते हुए अनिता बोली, “अब मैं समझी कि क्यों महेश इंटरव्यू मिस नहीं करना चाहता था।”

समय गुज़रने लगा, मेरी चुदाई भी हमेशा कि तरह चल रही थी, ऑफिस में लड़कियाँ थी और घर पर रजनी शाम को आ जाती थी। कभी-कभी शबनम और समीना भी घर आ जाती थीं।

एक दिन अनिता ने मुझसे कहा, “सर! क्लर्क की पोस्ट के लिये नयी लड़की रखनी पड़ेगी।”

“क्यों पहले वाली कहाँ गयी?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“दो दिन हुए उसने नौकरी छोड़ दी।”

“मुझे क्यों नहीं बताया कि वो छोड़ के जा रही है, कम से कम आखिरी बार उसकी चूत तो चोद लेता।”

“सर! छोड़ने के पहले वो आपके ही साथ थी।”

“मुझे नहीं मालूम!!! आगे से ये तुम्हारी जवाबदारी है कि कोई लड़की नौकरी छोड़े तो मैं उसकी चूत गाँड और मुँह अपने वीर्य से भर दूँ। अब नयी लड़की के लिये पेपर में इश्तहार दे दो।”

“वो सब मैं कर चुकी हूँ और एक लड़की को सलैक्ट भी कर लिया है। आप सिर्फ़ इतना बता दें कि उसका इंटरव्यू कब लेना है… सो मैं उसे समझा कर ले आऊँ”, अनिता ने आँख मारते हुए कहा।

“ठीक है! कल शाम पाँच बजे उसे बुला लो और एम-डी को भी इंटरव्यू के बारे में बता देना”, मैंने जवाब दिया।

दूसरे दिन अनिता एक २५-२६ साल की लड़की को साथ लिये ऑफिस में दाखिल हुई। मैंने लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा, वो सही में सुंदर थी, गोरा रंग, नीली आँखें, पतली कमर, लंबी टाँगें और उसके मम्मे काफी बड़े थे। ऐसा लग रहा था अभी उसके कुर्ते को फाड़ कर बाहर आ पड़ेंगे।

“सर! ये ज़ुबैदा है!!! अपने एच-आर डिपार्टमेंट में क्लर्क की पोस्ट के लिये…” अनिता ने परिचय कराया।

इतने में एम-डी ने भी केबिन में कदम रखा। “अनिता अब तुम शुरू कर सकती हो!” एम-डी ने कहा।

अनिता ने ज़ुबैदा के सर्टिफिकेट दिखाने शुरू किये। ज़ुबैदा अपने पिछले काम के एक्सपीरियेंस बता रही थी कि इतने में अनिता ने ज़ुबैदा से पूछा, “क्या तुम कुँवारी हो?”

ज़ुबैदा को ऐसे प्रश्न की आशा नहीं थी, “हाँ! मैं बिल्कुल कुँवारी हूँ।”

“देखो ज़ुबैदा! सच-सच बताना, कारण…. हमारी कंपनी अपने हर एम्पलोयी का मेडिकल चेक अप कराती है…… सो अगर तुम झूठ बोल रही होगी तो तुम्हारा झूठ वहाँ पकड़ा जायेगा”, अनिता ने कहा।

ज़ुबैदा कुछ वक्त सोचती रही और फिर धीमी आवाज़ में कहा, “नहीं!!! मैडम मैं कुँवारी नहीं हूँ।”

“तुमने अपनी कुँवारी चूत को कब और कैसे चुदवाया?” अनिता ने पूछा।

“मैडम, ये मेरा पर्सनल मामला है, इससे आपको क्या करना है?” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“हमारी कंपनी का असूल है कि वो अपने करमचारी की हर बात की जानकारी रखती है….. सो डरो मत…… बताओ!!” अनिता ने कहा।

“ये कुछ साल पहले की बात है, मेरे अम्मी और अब्बा घर पर नहीं थे। मेरा बॉयफ्रेंड उस दिन मेरे घर पर आया और जबरदस्ती मेरी कुँवारी चूत चोद दी”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“क्या तुम्हें चुदवाने में मज़ा आया।”

“पहली बार तो बहुत दर्द हुआ था और मज़ा भी नहीं आया। लेकिन बाद में मज़ा आने लगा। तीन महीने तक हम पागलों की तरह चुदाई करते रहे पर एक दिन वो मुझसे झगड़ा कर के चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने कहा।

“तुमने कभी अपनी गाँड मरवायी है?” अनिता ने पूछा।

“यही तो झगड़े की जड़ थी, एक दिन वो मेरी गाँड मारना चाहता था….. मैंने मना किया तो उसने मेरे साथ जबरदस्ती करनी चाही पर मैंने उसे अपनी गाँड नहीं मारने दी, वो झगड़ कर चला गया और आज तक वापस नहीं आया”, ज़ुबैदा ने बताया।

“तुम्हें चुदवाने का दिल करता है?” अनिता ने पूछा।

“हाँ मैडम! बहुत करता है।” ज़ुबैदा ने शर्माते हुए कहा।

“तो क्या करती हो!” अनिता ने पूछा।

“जी मोमबत्तियों और खीरे-बैंगन से काम चाला लेती हूँ बस!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“तो ठीक है अपने कपड़े उतारो और सोफ़े पर लेट जाओ।”

“क्या सर मुझे चोदेंगे?” ज़ुबैदा ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा।

अनिता ने उसके कंधों पर हाथ रख कर कहा, “ज़ुबैदा मैंने तुमसे कहा था ना कि तुम्हें तन मन से काम करना होगा, तो तुम्हारा तन मैनेजमेंट के लिये बहुत स्पेशल है”, इतना कह कर अनिता भी अपने कपड़े उतारने लगी।

ज़ुबैदा अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गयी थी। वो अपने सैंडल उतारने लगी तो अनिता ने उसे रोक दिया। अनिता उसकी झाँटों को पकड़ कर बोली, “ज़ुबैदा! कल ऑफिस आओ तो ये झाँटें तुम्हारी चूत पर नहीं होनी चाहिये, तुम्हारी चूत एक दम चिकनी और सपाट होनी चाहिये मेरी चूत की तरह…. और हमेशा हाई-हील के सैंडल पहने रखना….. जैसे आज पहने हुए हो।”

“हाँ मैडम!” ज़ुबैदा ने जवाब दिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“ठीक है अब बिस्तर पर लेट जाओ!” अनिता ने उसे कहा, और एम-डी की तरफ पलटते हुए बोली, “सर! अब ये अपने फायनल इंटरव्यू के लिये तैयार है।”

“सुनील! तुम इसकी चूत चोदो….. मैं बाद में इसकी गाँड फाड़ुँगा”, एम-डी ने कहा।

जब ज़ुबैदा सोफ़े पर लेट गयी तो मैं भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। मेरे खड़े लंड को देख कर ज़ुबैदा बोली, “मैडम! इनका लंड कितना बड़ा है!”

मैंने उसकी टाँगें उठा कर मेरे कंधों पर रख लीं और एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया, “आऊऊऊऊ सर!!!! धीरे…. लगता है”, वो सिसकी। मैं धीरे-धीरे उसे चोदने लगा।

थोड़े धक्कों में उसे मज़ा आने लगा और वो सिसकारी भरने लगी, “ओहहहहहह आआआआहहहहहह।”

“क्यों अच्छा लग रहा है ना?” अनिता ने पूछा।

“हाँ मैडम!!! बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसा लग रहा है कि मैं जन्नत में पहुँच गयी हूँ”, वो सिसकते हुए बोली।

उसकी बात सुनकर मैं पूरी ताकत से उसे चोदने लगा। मैंने रफ़्तार भी बढ़ा दी।

“हाँआँआँ सर!!!! ऐसे ही चोदो, और जोर से सर!!!! हाँआँआँ आआआहहहहह ऊऊऊओओहहहहह”, वो सिसक रही थी। मैं भी जोर से चोद रहा था और हमारी साँसें फूल रही थीं।

“ओहहहहह मैडम!!!!!! कितना अच्छा लग रहा है…….. मैं तो गयीईईईईई”, वो चिल्ला रही थी और मैं अपने आपको ना रोक सका और उसे अपनी बाँहों में भींचते हुए उसकी चूत में पिचकारी छोड़ दी। थोड़ी देर एक दूसरे को चूमने के बाद हम अलग हो गये।

“क्यों अच्छा था ना?” अनिता ने पूछा।

“हाँ मैडम!!!! बहुत अच्छा लगा, इतना मज़ा मुझे पहले कभी नहीं आया”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“ठीक है… अब घोड़ी बन जाओ और अपनी गाँड मरवाने के लिये तैयार हो जाओ।”

“नहीं मैडम!!!!! प्लीज़ मेरी गाँड में नहीं”, ज़ुबैदा मिन्नत करते हुए बोली।

“मुँह बंद करो और मैं जैसा कहती हूँ वैसा करो”, अनिता ने उसे डाँटते हुए कहा, “अपना सिर नीचे कर और चूतड़ों को थोड़ा उठा दे।” ज़ुबैदा ने बात मान ली। अनिता झुक कर उसकी गाँड चाटने लगी और दो-तीन मिनट तक उसकी गाँड में अपना थूक भर दिया।

“सर!!! इसकी गाँड अब तैयार है”, अनिता ने एम-डी से कहा। ज़ुबैदा का शरीर काँप रहा था। एम-डी ने उसके पीछे आकर उसकी टपकती चूत में अपना लंड डाल दिया। ज़ुबैदा का शरीर थोड़ा संभला तो एम-डी ने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा दबा दिया।

“ओह सर!!!! प्लीज़ नहीं, सर बहुत दर्द हो रहा है, रुक जाइये प्लीज़ वरना मैं मर जाऊँगी।” मगर ज़ुबैदा की बात पे ध्यान ना देते हुए एम-डी ने और जोर से अपना लंड उसकी गाँड में घुसा दिया।

“ओओओहहहह मैडम!!!! आआआ…आप ही इन्हें रोकिये ना!!!” ज़ुबैदा चींखती रही और चिल्लाती रही पर एम-डी अब तेजी से उसकी गाँड मारने लगा। और तब तक मारता रहा जब तक उसका पानी नहीं छूट गया। ज़ुबैदा का मुँह दर्द के मारे लाल हो गया था और आँखों से आँसू बह रहे थे।

“बहुत अच्छे!!!! अब तुम कंपनी में काम करने लायक हो गयी हो”, अनिता ने ज़ुबैदा का हाथ पकड़ कर उसे सोफ़े पर से खड़ा करते हुए कहा, “ज़ुबैदा अब तुम सुनील सर का लंड चूसो और इनका पानी निगल जाना समझी!!!”

ज़ुबैदा मेरे पैरों के बीच आ गयी और मेरा लंड जोर से चूसने लगी।

“सर! मैं ड्रिंक्स मंगा लूँ?” अनिता ने एम-डी से पूछा। एम-डी ने गर्दन हिला कर हाँ कर दी।

“आयेशा! चार ग्लास और व्हिस्की लाना”, अनिता ने इंटरकॉम पर कहा।

“अभी लायी मैडम!” आयेशा ने जवाब दिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“ओहहहहह ज़ुबैदा….. जोर-जोर से चूसो….. मेरा छूटने वाला है….” मैंने कहा।

जब ज़ुबैदा मेरे लंड से छूटे पानी को पी रही थी उसी समय आयेशा व्हिस्की लिये केबिन में आयी। मैंने देखा कि वो एक दम नंगी थी। आयेशा ने कुछ कहना चाहा तो अनिता ने उसे चुप रहने का इशारा करके केबिन से जाने के लिये कहा।

आयेशा व्हिस्की और ग्लास रख कर केबिन से चली गयी।

“ज़ुबैदा! तुमने देखा आयेशा ने क्या पहन रखा था?” अनिता ने पूछा।

“मैडम!! वो तो बिल्कुल नंगी थी, उसने हाई-हील सैंडलों के अलावा कहाँ कुछ पहन रखा था”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“अच्छा है…. तुमने देख लिया। ये यहाँ का नियम है….. कोई भी हायर मैनेजमेंट से तुम्हें बुलाये तो तुम्हें इसी तरह आना है।”

ज़ुबैदा कुछ देर तक सोचती रही फिर हँसते हुए बोली, “हाँ मैडम, मैं समझ गयी। आप कहें तो मैं ओ~फिस में हर वक्त ऐसे ही बिल्कुल नंगी सिर्फ हाई-हील के संडल पहने रहने को तैयार हूँ!”

“वेरी-गूड! ऑय लाइक योर स्पिरिट!” अनिता हंसते हुए बोली।

हम चारों जब दो-दो पैग व्हिस्की पी चुके तो अनिता ने कहा, “ज़ुबैदा! अब तुम एम-डी के ऊपर लेट कर उनका लंड अपनी चूत में ले लो, और पीछे से सुनील सर तेरी गाँड मारेंगे।”

“पर मैडम! सुनील सर का इतना बड़ा लंड मेरी छोटी गाँड में कैसे जायेगा?” ज़ुबैदा बोली। उसकी नीली आँखें नशे में बोझल थीं।

“वैसे ही जायेगा जैसे वो मेरी गाँड में, आयेशा की गाँड में और कंपनी की हर लड़की की गाँड में घुस चुका है। तुम लेकर तो देखो…. दो-दो लंड से एक साथ चुदवाने में ज्यादा मज़ा आयेगा।” अनिता ने उसे समझाते हुए कहा।

एम-डी सोफ़े पर लेट चुका था। ज़ुबैदा उसके ऊपर चढ़ कर अपने हाथों से एम-डी का लंड पकड़ के अपनी चूत के छेद पे लगाकर बैठती हुई आगे को झुक गयी। एम-डी का लंड उसकी चूत में पूरा घुस चुका था।

मैंने ज़ुबैदा के पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पे रख के थोड़ा सा अंदर घुसाया तो वो जोर से चिल्लायी पर मैंने और एम-डी ने उसे दोनों तरफ से चोदना ज़ारी रखा। थोड़ी देर में ही हमारा पानी झड़ गया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“कुछ और सर?” अनिता ने एम-डी से पूछा।

“नहीं! अभी कुछ नहीं”, एम-डी ने जवाब दिया।

“ठीक है ज़ुबैदा! तुम कपड़े पहन कर बाहर इंतज़ार करना…. मैं तुम्हें ऑफिस का काम समझा दूँगी”, अनिता ने कहा। ज़ुबैदा जब कपड़े पहन कर जाने लगी तो एम-डी ने उससे पूछा, “ज़ुबैदा! अब जबकि तुम दो-दो लंड का स्वाद चख चुकी हो तो अब चाहोगी कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड वापस आ जाये?”

“सर! जब इतने शानदार दो लंड हैं तो मुझे उसके पिद्दु जैसे लंड की कोई जरूरत नहीं है”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया और अपनी सैंडल खटखटती बाहर निकल गयी। व्हिस्की के सुरूर के कारण उसकी चाल में थोड़ी सी लड़खड़ाहट थी।

ज़ुबैदा के जाने के बाद एम-डी ने कहा, “अनिता! तुम कमाल की हो, क्या कहते हो सुनील?”

“हाँ सर! मुझे लगता है कि आज के बाद हर इंटरव्यू में हमें अनिता को शामिल करना चाहिये, और इसे इनाम भी देना चाहिये”, मैंने एम-डी से कहा।

मेरी बात सुनते ही अनिता खुशी से उछल पड़ी और बोली, “सर! मैं अपनी चूत ले कर अपना इनाम लेने कब हाज़िर होऊँ?”

“आज नहीं! कल शाम को आना और ज़ुबैदा को भी साथ में लाना”, मैंने कहा।

दूसरे दिन अनिता ज़ुबैदा के साथ दाखिल हुई। दोनों ने कपड़े नहीं पहन रखे थे, सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने हुए थीं। आज ज़ुबैदा की चूत एक दम चिकनी और सपाट दिख रही थी। बालों का कहीं भी नामो निशान नहीं था। मैं और एम-डी ने दो घंटे तक दोनों की चूत और गाँड मारते रहे।

पंद्रह दिन बाद प्रीती अपने भाइयों की शादी अटेंड कर के वापस आ गयी। Hindi Sex Stories

प्रेषक – ए बी सी Indian Sex Stories

आज मैं आपके लिए कोई कहानी Indian Sex Storiesनहीं लाया, बल्कि मैं आपसे केवल दो बातें करने आया हूँ।

और ये दो बातें केवल लड़कियों के लिए हैं।

तो लेडीज़ – ग़ौर फरमाएँ।

आप या तो कुँवारी होंगी या फिर शादीशुदा

शादीशुदा तो ठीक है, कुँवारी होंगी तो २ बातें होंगी,

या तो आप शादी करेंगी या नहीं।

शादी नहीं की तो ठीक लेकिन अगर की तो २ बातें होंगी,

या तो आपका पति ठरकी होगा या नहीं

ठरकी हुआ तो आपको चुदाई का मज़ा आएगा, लेकिन अगर ठरकी नहीं हुआ तो २ बातें होंगी

या तो आप एक ही बिस्तर पर सोएँगे या अलग-अलग,

अलग से सोने का तो सवाल ही नहीं उठता और अगर एक ही बिस्तर पर होंगे तो २ बातें होंगी।

या तो आप बिना चुदे ही सो जाएँगी या फिर पति को गालियाँ देंगी।

बिना चुदे तो नींद आएगी नहीं और अगर मन में पति को गालियाँ देंगी तो २ बातें होंगी।

या तो आप अपने पति को छोड़ने की सोचेंगी या फिर किसी और से अपनी चूत मरवाने की

एक साल से पहले तो तलाक़ तो होगा नहीं और अगर किसी और से चुदवाना हो तो २ बातें होंगी।

या तो आप अपने किसी पुराने यार से चुदवाएँ या किसी और से।

किसी और को तो ढूंढना पड़ेगा लेकिन अगर यार से चुदवाना होगा तो २ बातें होंगी।

या तो उसकी शादी हो गई होगी या नहीं,

कुँवारा होगा तो ठीक लेकिन अगर शादी-शुदा होगा तो २ बातें होंगी।

या तो वह आपको चोदेगा या नहीं।

चोद देगा तो आप खुश लेकिन अगर नहीं चोदेगा तो २ बातें होंगी।

आपको या तो अपनी जवानी ऐसे ही गुज़ारनी होगी या फिर किसी को ढूंढना पड़ेगा जो आपको चोद सके।

ऐसे जवानी बिताना मुश्किल है अगर किसी को ढूंढना हो तो २ बातें होंगी।

या तो वह आपको चोद कर खुश पाएगा या नहीं।

खुश किया तो ठीक लेकिन अगर खुश नहीं किया तो २ बातें होंगी।

या तो आपको वो जैसे भी चोदे खुश रहना होगा या फिर किसी दूसरे के लंड को ट्राई करना होगा।

उससे चुदवा के ही खुश रहना है तो पति के लण्ड में क्या बुराई है,

लेकिन अगर दूसरा लण्ड ट्राई किया तो २ बातें होंगी।

या तो दूसरा लण्ड मस्त होगा या फिस्स,

मस्त हुआ इसकी क्या गारण्टी लेकिन अगर फिस्स हुआ तो फिर एक और लण्ड ढ़ूँढ़ो।

अरे तो मेरी बात समझ में क्यों नहीं आती है…

बार-बार लण्ड ढ़ूँढ़ रही हो और हर एक लण्ड फिसड्डी निकल रहे हैं।

दुनिया से कितना चुदवाओगी।

मुझे मेल क्यों नहीं करती हो।

तो दोस्तों चोदो-चुदाओ और लाइफ़ को खुशहाल बनाओ। Indian Sex Stories

Antarvasna

दोस्तों, मेरा नाम मनीष है, मैं Antarvasna दिल्ली मैं नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र २४ वर्ष है, यानि कि जवान हूँ। मैं अपने बारे में कुछ बता देना चाहता हूँ। मैं सेक्सी दिखता हूँ, ग़लती से या सही से, भगवान ने मुझ ग़रीब को अच्छे व्यक्तित्व का मालिक बनाया है। मेरा क़द ५.७ फीट है, देखने में कोई बॉडी-बिल्डर तो नहीं पर एक अच्छे बद़न का मालिक ज़रूर हूँ। मैं अन्तर्वासना में प्रकाशित हुई लगभग सारी कहानियाँ पढ़ता रहता हूँ। यह साईट मुझे काफ़ी अच्छी लगती है। आज मैं भी आप लोगों को अपनी आपबीती में शामिल करता हूँ।

बात तब की है जब मैं अपने चाचा-चाची और भाई-भाभी के पास रहने और नौकरी तलाश करने के लिए दिल्ली आया था। उस समय मेरे चाचा के घर में किरायेदार के रूप में मेरे ही गाँव का एक परिवार रहता था। उस परिवार में एक लड़की बुलबुल, जिसकी उम्र १८ वर्ष है और दूसरी उसकी छोटी बहन जो १० साल की है और उनके एक छोटा भाई है जिसका नाम अमित है और वह ६ साल का है।

बात बुलबुल की है, जो मुझसे प्यार करती थी, और मुझे पता भी नहीं था, पर एक दिन क्या हुआ… यह आप ख़ुद ही जान जाएँगे।

जब मैं रहने के लिए वहाँ गया था, तो शुरू-शुरू में तो वह मुझसे बात भी नहीं करती थी, सोचती थी मैं पहल करूँ। पर मैं तो ठहरा गाँव का आदमी, भला कहाँ से पहल करूँ? वैसे तो मुझे गाँव में काफी अवसर मिले पर मैं एक बार भी कर नहीं पाया क्योंकि डर रहता था कि अगर मैं कुछ ग़लत करता हूँ तो बद़नामी मेरे घरवालों की होगी। आप को तो पता ही होगा कि गाँव में अगर कुछ ग़लत करो तो बद़नामी घरवालों के सिर आती है। वैसे तो गाँव में मेरे काफी दोस्त ये सब काम मेरे सामने भी करते थे पर मैं मना कर देता था, इसलिए गाँव में काफी कम ही दोस्त थे। जो थे मेरी ही तरह के थे जो खीर देख तो सकते थे, पर खा नहीं सकते।

अब कहानी पर आता हूँ। तो दोस्तों काफी समय तक ना तो वो मुझसे कुछ कहती, ना ही मैं उसमें दिलचस्पी लेता, क्योंकि उस समय वहाँ कुछ बनने के लिए आया था। ऐसे ही दिन-महीने गुज़रते रहे। बात तो हो ही जाती पर कभी प्यार वाली बात नहीं होती। एक दिन शाम को मैं ऑफिस से घर आया और हाथ-पैर धोकर छत पर चला गया। वहाँ पर वह, उसका भाई और मेरी २ साल की भतीजी वहाँ खेल रहे थे। इतने में वे तीनों आकर मुझे च्यूँटी काटने लगे, तो मैंने भी बुलबुल की चुटकी ली। मेरे चुटकी काटने से वह रोने लगी और छत से नीचे चली गई। मैंने सोचा कि कहीं उसने नीचे जाकर सब को बता दिया तो मेरा जीना हराम हो जाएगा, क्योंकि मेरा भाई बड़ा हरामी है, साले ने मेरा जीना मुश्किल कर रखा था।

थोड़ी देर बाद वह फिर से ऊपर आई और आकर मेरे साथ खड़ी हो गई, तो मेरी जान में जान आई, वरना मैं तो सोच रहा था कि बेटा मनीष, आज पिटने के लिए तैयार हो जा। कुछ ही देर बाद उस के मुँह से अपना नाम सुनकर मैं चौंक गया। उसकी वह आवाज़ आज भी मुझे याद आती है। आए भी क्यों नहीं, आख़िर पहली बार मैं किसी के मुँह से ‘आई लव यू’ सुन रहा था। मेरा तो माथा ही ठनक गया। और वह यह बोलकर चली गई, फिर मैं काफी देर तक सोचता रहा कि मैं क्या करूँ। अन्त में बिना किसी निर्णय पर आए हुए मैं भी नीचे आ गया।

रात को खाना खाकर सोने के लिए अपने बिस्तर पर चला गया। मैं जहाँ सोता था वहाँ पर बर्तन धोने जाने का रास्ता था। मैं सो रहा था या यों कहें कि मैं उसी के बारे में सोच रहा था कि तब तक वह हाथ में बर्तन लेकर धोने के लिए वहाँ आकर खड़ी हो गई और मुझे देखने लगी। मैं आँखें बन्द करके सोच रहा था, तो उसने आराम से बर्तन नीचे रखे और मेरे होठों को किस कर लिया, वह मेरा किसी लड़की द्वारा किया गया पहला किस था। तो मैं उठ पड़ा और सोचा कि अगर यह एक लड़की होकर इतना कर सकती है, तो मैं लड़का होकर क्यों शान्त सोया पड़ा हूँ। मैंने भी उसी स्टाईल में लगभग १५-२० मिनट तक उसे किस किया। फिर मैंने जाना कि किस क्या होता है। फिर वह वहाँ से चली गई। अब ना तो मैं ठीक से काम कर पाता था, ना ही ठीक से पढ़ पाता था, दिन-रात उसी के बारे में सोच-सोच कर मैं ५४ से ४८ किलो का हो गया था। मेरे चाचा-चाची कहते कि द़िल लगाकर पढ़ाई कर रहा है तो बीमार हो गया है, एक काम कर यो तो तू काम कर या पढ़ाई कर, थोड़ा बोझ हल्का हो जाएगा।

पर उनको तो पता नहीं था कि मेरा द़िल तो कहीं और ही लगा हुआ है, तो पढ़ाई में कहाँ से लगेगा। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था इसलिए मैं जहाँ भी उसे अकेले में देखता था या पाता तो तुरन्त ही जाकर उसके होठों को चूमने लगता। वह भी मना नहीं करती, क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा था, तब तक होली भी नज़दीक आ रही थी। हमारे चाचा-चाची ने घर जाने का फैसला किया कि इस बार गाँव में ही होली मनाएँगे।

मैं तो जा नहीं सकता था। अगर मैं जाता तो मेरी कमाई, पढ़ाई, और चुदाई तीनों पर कोई और होली खेल जाता। तो वे लोग गाँव चले गए, घर में मैं रह गया, साथ में मैं मेरी भाई-भाभी और मेरी दो भतीजियाँ। और वह तो पहले से ही अपने पूरे परिवार के साथ वहाँ थी ही।

एक रात हम सब छत पर सो रहे थे कि तेज़ बारिश शुरू हो गई, सब नीचे भाग आए सोने कि लए। मौसम तो ऐसा था कि जिनकी शादी हो गई थी वो तो बीवी के साथ लगे होंगे, जिनकी नहीं हुई वह लण्ड पकड़कर सो रहे होंगे, मेरी तरह। उस रात मैं भगवान को कोस रहा था, आप को अगर पता न हो तो एक बात बता दूँ कि दिन में एक बार आप जो भी बोलते हैं, वह सच हो जाता है, शायद वही हुआ।

रात के लगभग २ बज रहे थे, मैं बरामदे में ही अकेला सो रहा था, भाई-भाभी अन्दर कमरे में कुण्डी लगाकर सो रहे थे। अचानक मुझे पायल की आवाज़ सुनाई पड़ी, मैंने आँखें खोली तो देखा कि बुलुबल आराम से नीचे उतर रही है। वह सीधा मेरे बिस्तर पर आई और मेरे साथ लेट गई। मैं तो अचानक हवा में उड़ने लगा, हे भगवान, आख़िर वह दिन आ ही गया ! मैंने उसकी तरफ मुँह किया और उसे किस करने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी। मैंने उसे सिर से लेकर पाँव तक किस किया, वह तो जाने कितने जन्मों की प्यासी लग रही थी पता नहीं।

जब मैं उसे किस कर रहा था तो इतने में उसने मेरा लण्ड पजामे में से बाहर निकाल लिया और हिलाने लगी। मैं तो हैरान रह गया, ये सब इसने कहाँ से सीखा? मैंने उसके होठों को जी-भर चूसा और लाल कर दिया। फिर उसकी शमीज खोलकर मस्त हो रहीं चूचियों को जी भरकर चूसा। उसकी ओओओओओओ… उउउउउउउ… आआआआआआ आआआआआआहहहह की आवाज़ मेरे जोश भर रही थी। मैं ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूचियों को दबा व चूस रहा था। फिर मैं धीरे से एक ऊँगली उस कभी खत्म न होने वाली गहराई यानि उसकी योनि के ऊपर घुमा रहा था, अचानक वह ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ों को ऊपर-नीचे करने लगी और कुछ देर बाद शान्त हो गई। फिर मैंने अपना लण्ड उस के मुँह में दे दिया और वह दनादन चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाट रहा था कि कहानी में ट्विस्ट आ गया।

मुझे लगा कि कोई अन्दर से कुण्डी खोल रहा है। हम शान्त हो गए। फिर धीरे-धीरे कुण्डी खुलने की आवाज़ हुई तो हमारी जान ही निकल आई, वह वहाँ से उठकर सीढ़ियों से ऊपर चली गई, और मैं शान्ति से सो गया। फिर पाया कि काफी देर तक कोई अन्दर कमरे से नहीं आया फिर भी कुण्डी जैसी कुछ आवाज़ रह-रहकर आतीं, तो मैंने ध्यान दिया तो पाया कि हवा के कारण गाँधी की तस्वीर दरवाज़े में रगड़ खाकर आवाज़ पैदा कर रही थी। मैंने मन ही मन सोचा क्या यार सही में तुम गाँधी हो, अच्छी खासी चुदाई में तुमने आन्दोलन कर दिया। मैं लण्ड पकड़कर सो गया। थोड़ी ही देर में वह आई और अपना दुपट्टा लेकर जाने लगी तो मैंने उसे ज़बरदस्ती लिटा लिया, वो मना करती रही फिर भी मैं नहीं माना और उसे फिर से नंगा कर दिया, फिर से उसको चूमा-चाटा फिर कुछ देर तक ना-ना करने के बाद वह मान गई और साथ देने लगी।

फिर मैंने उस को उसकी कच्छी उतारने के लिए कहा तो वो बोली- सब तो तुमने उतार ही दिया है, अब ये मैं क्यों उतारूँ, तुम ही उतार दो।

मैंने फिर वह भी उतार दी और अपनी छोटी ऊँगली को ओ बना के घुमाने लगा तो मुझे ऐसा लगा कि वह अभी मझे धक्का देकर गिरा देगी, लेकिन मैंने धीरे-धीरे ही घुमाना उचित समझा और उसकी चूचियों को एक-एक करके चूसता भी रहा। फिर मैंने ऊँगली निकाल कर अँगूठा डाला और फिर ओ की तरह घुमाने लगा तो वह उछलने लगी और सिसकारियाँ लेने लगी। अब ना तो मुझ से रहा जा रहा था ना ही उससे सहा जा रहा था।

मैंने उससे कहा- यार ! कब तक ये चूसते रहेंगे?

तो वह बोली- मैं तो कब से कहना चाह रही हूँ पर तुम हो कि चूस-चूस कर ही निकालते जा रहे हो।

तो मैंने कहा कि पहले बताना चाहिए था ना, मैं यह काम पहली बार कर रहा हूँ।

तो वह बोली- तो मैं कौन सी मास्टर हूँ, मेरा भी तो पहली बार ही है।

फिर मैं उसे चित लिटाकर उसके ऊपर आ गया और सारा काम अपने लण्ड के भरोसे छोड़ दिया। वह अन्दर जाने के लिए बेताब़ हो रहा था और रास्ता था कि लाख ढूंढने पर भी नज़र नहीं आ रहा था, फिर मैंने भी कोशिश की, पर बेकार। जब भी झटका मारता, लण्ड अन्दर जाने की बजाए पेट की तरफ निकल भागता।

फिर उसने कहा- कि किचन से थोड़ा तेल ले लो।

मैं किचन से तेल ले आया और उसकी चूत और अपने लण्ड पर खूब मालिश करवाई और की। फिर उसने लण्ड अपने हाथ में ले लिया और कहा- अबकी बार मैं कोशिश करती हूँ, पर धीरे-धीरे करना।

मैंने कहा- मुझे पता है जानम कि तुम और मैं दोनों ही नए हैं इस खेल में ! पर चिन्ता मत करो, मैं ख़्याल रखूँगा।

फिर उसने अपने हाथों से मेरा लण्ड अपने चूत की छेद के पास रखा और बोली- जानेमन थोड़ा रहम करना मेरे ऊपर और धीरे से धक्का लगाना !

तो मैंने पहला धक्का धीरे से लगाया, मुझे पूरा महसूस हो रहा था कि मेरे लण्ड का कितना हिस्सा बाहर है, और कितना अन्दर जा चुका है। मैंने अपने पहले ही झटके में अपना पूरा सुपाड़ा अन्दर पेल दिया तो वह तिलमिला उठी और अपने दाँतों को ज़ोर-जो़र से चबाने लगी फिर बोली- मुँह में कुछ दो नहीं तो मैं चिल्ला उठूँगी।

फिर मैंने अपनी जीभ उसे चूसने के लिए दी और वह चूसने लगी। इस बार मैंने एक और ज़ोरदार झटका मारा और मेरा आधा लण्ड अन्दर समा गया और वह इतनी ज़ोर से छटपटाई कि मैं घबरा गया, कि कहीं कुछ हो तो नहीं गया। उसने लाख़ छूटने का प्रयास किया पर मैंने छूटने नहीं दिया और फिर मैं वहीं रूक गया। उसकी जुबान को चूसने लगा, जब उसे थोड़ा आराम मिला तब उसने खुद ही कहा कि अब क्या चूस रहे हो, अब तो पूरा ही डाल दो, तो मैंने एक आख़िरी ज़ोरदार झटका मारा और वह उछल कर शान्त हो गई, फिर मैंने उसे हर कोण से चोदा और वह आ आआआआ आइ…. आआआआआ… आआआआआ उउउउउउ आआआहहह… उउउउभभभ… आआआआहहहह आआआआआ करती रही।

मैंने उसे अपने ऊपर आने के लिए कहा। यारों अगर आप चुदाई का असली मज़ा लेना चाहते हैं तो फिर आप ख़ुद लेट जाइए और उसे करने के लिए बोलें, फिर देखेंगे कि चुदाई क्या चीज़ होती है। और फिर वह मेरे ऊपर आकर पहले तो धीरे-धीरे फिर ज़ोर-ज़ोर से आटे की चक्की चलाने लगी। मेरा तो मत पूछिए, मैं तो जैसे हवाओं में था। तभी वह बोली- अब ज़रा ज़ोर-ज़ोर से कर दो, मैं आने वाली हूँ।

फिर मैंने उसे लिटा के जो झटके मारे, १०-१५ में ही उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और मुझे भी एक ऐसी सुखदायक कँपकँपी लगी जैसे कोई मुझे स्वर्ग की सैर करवा रहा हो। फिर शुरू से लेकर अन्त तक कर मैंने उसके एक पल का भी मज़ा खराब न करके वो मुझमें और मैं उसमें समाने की कोशिश करते रहे और वह मेरा हौसला बढ़ाती रही। मैंने ज़ोरदार शाट्स मारे, फिर हम शान्त होकर वहीं पड़े रहे। १५ मिनट बाद हम उठे, बाथरूम में साथ-साथ गए, एक-दूसरे को साफ़ किया। उसने मुझे गुडनाईट किस दिया और चली गई।

१५ दिन बाद मेरी नौकरी फ़रीदाबाद में डेवेलपमेन्ट में एक कैड ऑपरेटर के रूप में लग गई और मैंने दिल्ली छोड़ दी।

उसके बाद आज तक कभी सेक्स करने का दुबारा मौका नहीं मिला, उसके बाद ना तो उसने कभी मुझे फोन किया, ना मैंने उसे ही। उसकी शादी हो चुकी है, और वह काफी खुश है। Antarvasna

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